आखिर क्यों ब्रह्मा जी की पूजा कहीं नहीं होती? Story of Brahma Temple in Hindi



Story of Brahma Temple in Hindi: फ्रेंड्स, कहा जाता है की ‘ब्रह्मा जी’ ने इस समस्त संसार की रचना की है, भगवान ‘श्री हरि विष्णु’ संसार की पालन करते हैं, और महेश अर्थात भगवान शिव शंकर इस जगत का विनाश करते हैं। पूरे धरती पर भगवान शिव और भगवान विष्णु का तो कई मंदिर स्थापित हैं, लेकिन सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी का इस पूरी पृथ्वी पर सिर्फ पुष्कर में ही एक मंदिर है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों सृष्टि के रचनाकार ‘ब्रह्मा जी’ का इस संसार में सिर्फ एक ही मंदिर है? चलिए आज के इस पोस्ट” Story of Brahma Temple in Hindi” में हम आपको इसी रहस्य के बारे बताते है।

गुजरात के पुष्कर में जो ब्रह्मा जी का मंदिर(Brahma Temple) है, ऐसा पौराणिक मंदिर, इस दुनिया में हमे और कहीं देखने को नहीं मिलता है। पुष्कर के इस मंदिर में दुनिया भर के लोग आकर सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी की बड़ी श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं। लोग यहां आकर उस भगवान की भक्ति करते हैं जिसकी वजह से आज इस संसार का अस्तित्व है।

Story of Brahma Temple
पुष्कर का मतलब होता है वह तालाब जिसका निर्माण पुष्प यानी फूलों से होता है। इस जगह के बारे में पुराणों में बर्णन है कि, एक बार सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी के मन में धरती की भलाई के लिए यज्ञ करने का मन में विचार आया। अब यज्ञ करने के लिए धरती की आवश्यकता थी, इसके लिए ब्रह्मा जी ने अपने हाथ के एक कमल को धरती पर यज्ञ करने के लिए जगह ढूंढने भेज दिया। ब्रह्मा जी का भेजा हुआ कमल यज्ञ के लिए धरती ढूंढते-ढूंढते ‘पुष्कर शहर’ जा पहुंचा।

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कमल बगैर तालाब का नहीं रह सकता, इसलिए इस जगह पर एक तालाब का निर्माण किया गया। फिर उसके बाद ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए वहां(पुष्कर) पहुंचे। लेकिन उनकी पत्नी सावित्री वक्त पर नहीं पहुंच पाई। यह यज्ञ बिना पत्नी के किया जा सकता था, और यज्ञ शुरू करने का शुभ मुहूर्त बीता जा रहा था, इसलिए ब्रह्मा जी ने तत्कालीन वहां के स्थानीय निवासी की एक ग्वाला की बेटी से शादी कर ली, और यज्ञ की शुरुआत के लिए बैठ गए।

थोड़ी देर बाद जब ब्रह्मा जी की पत्नी ‘मां सावित्री’ वहां पहुंची तो अपने स्थान पर किसी और दूसरे को बैठा देख उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। और मां सावित्री क्रोध में आकर अपने ही पति ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया, कि जाइए “आज के बाद आप की पूजा इस धरती कहीं नहीं की जाएगी। यहां का बिताया हुआ जीवन आपको कभी याद नहीं रहेगा”



मां सावित्री को इतने क्रोध में देखकर यज्ञ में आए सभी देवता गण डर गए, उन्होंने मां सावित्री से शांत होने की विनती की और अपना श्राप वापस लेने के लिए कहा। कुछ देर के बाद जब सावित्री जी का गुस्सा शांत हुआ तब उन्होंने कहा कि इस धरती पर सिर्फ आपकी पूजा पुष्कर में ही होगी। और यहीं पर आपका सिर्फ एक मंदिर स्थापित होगा। इस मंदिर(Brahma Temple) को छोड़कर आपका कोई दूसरा मंदिर नहीं होगा। और अगर कोई आपका दूसरा मंदिर बनवाने की कोशिश करेगा तो उसका सर्वनाश हो जाएगा।



अब इस कहानी का मतलब समझिए
हिंदू धर्म में ब्रह्मा जी वह देवता है जिनके चार हाथ हैं। उनके चारों हाथों में हमें चार किताब देखने को मिलती है। ब्रह्मा जी के चारों हाथों में जो किताब है वह 4 वेद हैं। वेद का मतलब ज्ञान होता है। पद्मपुराण में पुष्कर में बना मंदिर का जिक्र किया गया है। पद्म पुराण के अनुसार पुष्कर में ब्रह्मा जी 10000 साल तक रहे थे। इन सालों में उन्होंने पूरी सृष्टि की रचना की जब सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने पूरी कर ली तब सृष्टि के विकास के लिए उन्होंने 5 दिनों तक यज्ञ करवाया था। और उसी यज्ञ के दौरान मां सावित्री ने वहां पहुंचकर ब्रह्मा जी को श्राप दिया था। मां सावित्री के श्राप के कारण ही आज भी उस तालाब की पूजा होती है, लेकिन ब्रह्मा जी की पूजा नहीं होती। बस भक्तजन दूर से ही ब्रह्मा जी का दर्शन कर लेते हैं।

और तो और दोस्तों यहां के पंडित और पुरोहित भी ब्रह्मा जी की तस्वीर अपने घरों में नहीं रखते। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने जिन 5 दिनों में सृष्टि के कल्याण के लिए यज्ञ करवाया था, वह कार्तिक महीने के एकादशी से लेकर पुर्णिमा तक का वक्त था। और इसीलिए हर साल इसी महीने पुष्कर में मेला लगता है।

लेकिन फ्रेंड्स, वक्त के हिसाब से पुष्कर में लगने वाले इस मेले का स्वरूप बहुत बदल गया है। कहा जाता है कि जब इस मेले का अध्यात्मिक स्वरूप पूरी तरह से बदल जाएगा, तब पुष्कर का नक्शा धरती से मिट जाएगा, और वह समय पृथ्वी का विनाश का होगा।

अध्यात्मिक मान्यता यह है कि पुष्कर के इस मेले में 33 करोड़ देवी देवता यहां मौजूद रहते हैं। यह सभी देवी देवता और शक्तियां उस ब्रह्म की उपासना करने के लिए आते हैं, जिनकी वजह से इस सृष्टि का निर्माण हुआ, जिनकी वजह से इस समस्त संसार का वजूद है। इस दौरान पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर के पास बने उस सरोवर के पानी में एक ऐसी अध्यात्मिक शक्ति का जिक्र है जिससे सारे रोग दूर हो जाते हैं।

आज तक किसी को पता नहीं कि पुष्कर में इस पौराणिक ब्रह्मा जी के मंदिर(Brahma Temple) का निर्माण कब और किसने किया। बेशक आज से तकरीबन 1200 साल पहले ‘अरनव वंश’ के एक शासक को एक सपना आया था की इस जगह है एक मंदिर है, जिसकी सही रखरखाव की जरूरत है। तब उसी राजा ने ब्रह्मा जी के इस मंदिर को पुनर्जीवित किया, और ठीक से बनवाया। लेकिन उसके बाद ब्रह्मा जी का अलग मंदिर जिस किसी ने बनवाने की कोशिश की वह पागल हो गया या फिर उसकी मौत हो गई।

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सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी का मंदिर अर्थात पुष्कर आकर लोगों को एक अलग ही आध्यात्मिक एहसास होता है। कई श्रद्धालु तो ऐसे भी हैं जो यहां और यही का होकर कर रह जाना चाहते हैं।

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