शिव का वो अवतार जिससे सारी दुनिया कांप गई Most Destructive descent of Lord Shiva



Most Destructive descent of Lord Shiva:भगवान शिव को महा शक्तिमान और अनंत कहा जाता है उन्हें देवों के देव कहा जाता है क्योंकि उनकी शक्ति के आगे कोई और शक्ति है ही नहीं सकती भगवान शिव को भोलेनाथ की कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्तों के प्रिय से जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन जब वह क्रोध में होते हैं तो कोई भी शक्ति उनके सामने टिक नहीं पाते इसी महाशक्ति से भगवान शिव सृष्टि का विनाश भी कर सकते हैं हमारे वेदों और पुराणों में भगवान शिव के अवतारों के बारे में बताया गया है लेकिन उनके सबसे शक्तिशाली और विनाशक अवतार हैं वीरभद्र अवतार तो आज हम बात करने वाले हैं भगवान शिव के ऐसे अवतार Most Destructive descent of Lord Shiva के बारे में जिसकी शक्ति से तीन लोग कांप गए थे

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दरअसल कथा के अनुसार भगवान शिव का वास पहले से ही कैलाश में था और पृथ्वी लोक पर एक राजा था जिसका नाम दक्ष दक्ष ब्रह्मा का पुत्र था दक्ष की संतानों में से एक सती दी थी सती ने बचपन से ही मन में सोच लिया था कि वह सिर्फ भगवान शिव से ही शादी करेंगे और राजा दक्ष शिव को पसंद नहीं करते थे इसलिए जब सदी का स्वयंवर रखा गया तो सब को बुलाया गया लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया जबकि सती सिर्फ आपसे ही शादी करना चाहती थी तब सती ने माला हवा में उछली और भगवान शिव से आग्रह किया कि वह अपना लें वह माना शिव के गले में आ गई इसे देख चाहते हुए भी दक्ष को सती की शादी शुरू से ही करनी पड़ी

इसके कुछ समय बाद राजा दक्ष ने राजमहल में यज्ञ रखा जहां पर सब को आमंत्रित किया गया परंतु शिव को नहीं किया गया जब सती वहां पहुंची तो राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया यह सब देखकर सती ने उस यज्ञ की अग्नि में अपनी आहुति दे दी और जब यह सब भगवान शिव पता चला तब वह गुस्से से भर गए तब उन्होंने अपनी जटा का एक हिस्सा नीचे फेंका और इस तरह एक अवतार का जन्म हुआ जिसे वीरभद्र कहा गया इस अवतार में भगवान शिव की क्रोध की अग्नि थी तब भगवान शिव ने वीरभद्र को राजा दक्ष को मारने को कहा राजा दक्ष को भी यह सब पता चल गया और उसने भी देवी शक्ति वाली सेना भेजी वीरभद्र को रोकने के लिए लेकिन वीरभद्र की क्रोध की अग्नि को रोक पाना असंभव था Most Destructive descent of Lord Shiva

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तीनों लोकों में से कोई भी वीरभद्र की शक्ति को रोक नहीं पा रहा था सारी की सारी सेना को वीरभद्र ने कुछ क्षणों में मिटाकर रख दिया उसके बाद देवताओं ने भी वीरभद्र को रोकने की कोशिश की लेकिन इतनी विनाशकारी शक्ति को संभालना असंभव था इस तरह वीरभद्र ने राजा दक्ष का सर धड़ से अलग कर दिया दूसरी तरफ भगवान से भी सती का पार्थिव शरीर लेकर वियोग में तड़प रहे थे और क्रोध से तांडव कर रहे थे

तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 52 हिस्से  कर दिए और जहां भी सती के शरीर के हिस्से गिरे वहां पर आज शक्तिपीठ हैं तब जाकर भगवान शिव का  क्रोध शांत हुआ तब भगवान शिव भी वैराग्य मुद्रा में चले गए और  वीरभद्र अवतार भी उनमें समा गए इस तरह सब देवताओं ने भगवान शिव की महा प्रलयंकारी शक्ति को महसूस किया जिसके सामने कोई भी टिक नहीं सकता था


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