महर्षि वेदव्यास के बारे में कुछ अनसुने तथ्य Maharishi Vedvyas Secret Facts



दोस्तों धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा को वेदव्यास की जयंती मनाई जाती है। इसके अनुसार इसी दिन महान महाकाव्य महाभारत ग्रंथ के रचनाकार महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था।आज हम आपको अपनी पोस्ट में बता रहे हैं,महाभारत ग्रंथ के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने तथ्यों के बारे में…Maharishi Vedvyas Secret Facts

हमारे धर्म पुराणों के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास बहुत ही ज्ञानी,तेजस्वी और महान महर्षि थे। उन्हें चारों वेदों का संपूर्ण ज्ञान था। इसीलिए उन्हें वेदव्यास कहा गया। हमारे पुराण बताते हैं कि महर्षि वेदव्यास जी संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान थे। इसीलिए उन्हें गुरु की भी उपाधि दी गई थी।

दोस्तों हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार वेदव्यास जी भगवान नारायण के काला अवतार थे। वेदव्यास जी के पिता का नाम ऋषि पराशर और उनकी माता का नाम सत्यवती था। वेदव्यास जी अपने जन्म के कुछ समय पश्चात ही अपने माता-पिता से वन जाकर तब करने की अपनी इच्छा प्रकट की थी।

शुरुआत में तो वेदव्यास जी के माता सत्यवती ने वेदव्यास को वन जाकर तपस्या करने की अनुमति नहीं दी, किंतु व्यास जी के लगातार हट के कारण माता सत्यवती उन्हें वन जाने की आज्ञा दे देती है। वेदव्यास जी अपने माता सत्यवती को गृह स्मरण होते ही घर लौट आने का वचन देकर वन में तपस्या करने के लिए चले जाते हैं। Maharishi Vedvyas Secret Facts

ऐसा माना जाता है कि वेदों के विस्तार के लिए स्वयं भगवान श्री हरि नारायण व्यास जी के रूप में इस पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। वेदव्यास जी ने वेदों का विस्तार, महाभारत ,18 महापुराण एवम ब्रह्म सूत्र की रचना की थी। वेदव्यास जी बद्री वन में निवास किया करते थे। इसी कारण उनका एक नाम वाद नारायण भी प्रसिद्ध है।

वेदव्यास जी को अमरत्व प्राप्त था।
महर्षि वेदव्यास जी विपत्ति ग्रस्त पांडवों की समय समय पर उनकी सहायता करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। महर्षि वेदव्यास जी ने ही धृतराष्ट्र के कहने पर संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की थी। जिसके जरिए संजय ने महाभारत युद्ध को प्रत्यक्ष देख कर अपने महाराज धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध का वर्णन सुनाया था।वेदव्यास जी के दिए हुए दिव्य दृष्टि के कारण ही संजय ने, महाभारत युद्ध में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता उपदेश का श्रवण किया था।

दोस्तों महर्षि वेदव्यास जी की ज्ञान शक्ति अलौकिक थी। महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद एक बार जब वेदव्यास जी धृतराष्ट्र तथा गांधारी से मिलने हस्तिनापुर जाते हैं। तो वह देखते हैं कि धृतराष्ट्र अपने पुत्र शोक में व्याकुल हैं।

उस समय युधिष्ठिर भी सपरिवार वहां पर उपस्थित थे। तब शोकाकुल धृतराष्ट्र ने वेदव्यास जी के सामने अपने मरे हुए पुत्रों स्वजनों को देखने की इच्छा प्रकट की। तब वेदव्यास जी ने धृतराष्ट्र की यह इच्छा स्वीकार  कर ली। इसके पश्चात वेदव्यासजी उन लोगों को लेकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। और सभी को रात होने का इंतजार करने के लिए कहा। Maharishi Vedvyas Secret Facts

रात होने पर वेदव्यास जी गंगा नदी में प्रवेश कर कुछ मंत्र पढ़कर…. दिवगंत योद्धाओं को पुकारते हैं। व्यास जी के इस पुकार से गंगा के जल में महाभारत युद्ध जैसे कोलाहल सुनाई देने लगती है। और देखते ही देखते महाभारत युद्ध में मारे गए समस्त योद्धा गंगा नदी से एक-एक करके प्रकट हो जाते हैं।

वेदव्यास जी का है हिंदू धर्म पर अनंत उपकार
गंगा नदी से निकले महाभारत के समस्त योद्धा लोग दिव्य देवधारी रूप धारण किए हुए प्रकट हुए। उन सभी योद्धाओं का मन शांत हो चुका था। किसी के मन में भी कोई भी बैर और क्रोध नहीं थी। वह सभी रात्रि में अपने सगे-संबंधियों से मिले। तथा सूर्य उदय से पूर्व गंगा नदी में पुनः प्रवेश करके दिव्य लोगों में चले गए। धर्म और पुराण बतलाते हैं कि महर्षि वेदव्यास जी को अमरत्व प्रदान है। अतः व्यास जी आज भी हमारे बीच व्याप्त हैं।

धर्म ज्ञानियों का मानना है कि महर्षि व्यास जी आज भी अमर हैं। तथा समय समय पर प्रकट होकर धर्म करने वाले पुरुषों को अपना दर्शन देकर उन्हें कृतार्थ करते हैं। आदि शंकराचार्य को इन्होंने अपना दर्शन देकर उनका उद्धार किया था।

दोस्तों महर्षि वेदव्यास जी का हमारे हिंदू धर्म पर अनंत उपकार हैं। संपूर्ण हिंदू धर्म उन का आभारी है। हम वेदों के ज्ञाता, महाभारत के रचयिता,और 18 पुराणों के संग्रह कारक, अमर युगपुरुष, महान तेजस्वी, महर्षि वेदव्यास जी का सत सत नमन करते हैं।




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