कैसे हुई थी भगवान श्रीराम की मृत्यु? Lord rama death story in hindi
दोस्तों भगवान श्रीराम प्रभु का जन्म भारत देश के अयोध्या नगरी में सूर्यवंश राज परिवार में हुआ था। उनकी जिंदगी काफी संघर्षों से भरी हुई थी। भगवान राम के पिता का नाम राजा दशरथ और उनके माता का नाम कौशल्या था। आज भी हम सभी भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जानते हैं। दोस्तो आज हम आपको अपने इस पोस्ट में भगवान श्री राम की मृत्यु की कथा बता रहे हैं कि प्रभु श्री राम की मृत्यु किस प्रकार हुई थी? Lord rama death story in hindi कैसे वह अपने धाम लौटे थे?
भगवान श्री हरि विष्णु के महान अवतार प्रभु श्री राम की इस पृथ्वी लोक से अपने लोक वापस जाने की कथा काफी रोचक है। हर एक हिंदू यह जानना चाहता है। कि आखिरकार हिंदू धर्म के महान राजा भगवान श्री राम किस तरह से अपने लोक में वापस गए थे। अर्थात उनकी मृत्यु किस तरह से हुई थी। वह धरती लोक से विष्णु लोक में कैसे गए। दोस्तों इसके पीछे एक बहुत ही रहस्यमई पौराणिक कथा प्रचलित है। तो चलिए बतलाते हैं आपको उस कथा के बारे में….Lord rama death story in hindi
हमारे हिंदू धर्म के प्रमुख 3 देवता ब्रह्मा,विष्णु और महेश त्रिदेव में से भगवान श्री हरी विष्णु ने इस धरती को पाप से मुक्त करने के लिए विभिन्न युगों में इस धरती पर अपने कई अवतार लिए हैं। और धरती को पाप से मुक्त करा कर धर्म की स्थापना की। और लोगों को धर्म पर चलने की शिक्षा प्रदान की। यह सारे अवतार भगवान श्री हरि विष्णु द्वारा संसार की भलाई के लिए लिए गए थे। भगवान विष्णु ने इस पृथ्वी पर कुल 10 अवतारो में अवतरित हुए। जिसमें से भगवान श्री राम उनके सातवें में अवतार माने जाते हैं। भगवान विष्णु का श्री राम अवतार सभी अवतारों में से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और पूजनीय माना जाता है।
प्रभु श्री राम के बारे में महर्षि बाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा अनेक कथाएं और ग्रंथ लिखा गया है। जिन्हें पढ़कर कलयुग के हर मनुष्य को प्रभु श्री राम के बारे में और उनके जीवन जीने की कला के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। प्रसिद्ध महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने तो प्रभु श्रीराम के जीवन पर अनगिनत कविताओं के द्वारा कलयुग के मानवों को श्री राम की छवि दिखाने की कोशिश की है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से प्रभु श्रीराम के जीवन को कलयुग के हर मनुष्य को समझाया है कि प्रभु श्री राम का जीवन कैसा था। दोस्तों भारत देश में उत्तर से लेकर दक्षिण तथा पूर्व से लेकर पश्चिम तक सभी जगहों पर भगवान राम के मंदिर स्थापित किए गए हैं। इनमें से बहुत सारे मंदिर ऐतिहासिक दृष्टि से बनाए गए थे।
दोस्तों भगवान श्री राम की मुक्ति से पूर्व यदि हम उनके जीवन काल पर नजर डालें तो हिंदू धर्म पुराण बतलाता है… कि भगवान श्रीराम ने पृथ्वी पर 10,000 से भी ज्यादा वर्षों तक राज किया था। भगवान श्रीराम ने अपने लंबे परिमित समय में कई ऐसे महान कार्य किए, जिन्होंने हमारे हिंदू धर्म को एक गौरवमई इतिहास प्रदान किया है।
कैसे भगवान श्री राम लौटे अपने लोक में? Lord rama death story in hindi
संसार के हर व्यक्ति के मन में यह सवाल जरूर आता है कि क्या कारण रहा होगा और क्यों भगवान श्रीराम को अपने परिवार को छोड़कर विष्णु लोक वापस जाना पड़ा था। दोस्तों पद्म पुराण में दर्ज एक कथा के अनुसार एक दिन एक वृद्ध संत भगवान श्री राम के दरबार में पहुंचे। और भगवान् राम से अकेले में बात करने के लिए उनसे निवेदन किया। उस संत की निवेदन स्वीकार करते हुए प्रभु श्री राम उन्हें एक कक्ष में ले गए। और द्वार पर अपने छोटे अनुज (भाई) लक्ष्मण को खड़ा कर दिया। और लक्ष्मण से कहा कि यदि उनके और संत की चर्चा को किसी ने भंग करने की कोशिश की तो उसे वह मृत्युदंड देंगे। इसलिए जब तक हमारे और संत के बीच वार्तालाप चल रही हो तो वह किसी को भी कक्ष में प्रवेश ना करने दें।
लक्ष्मण ने अपने जेष्ठ भ्राता की आज्ञा का पालन करते हुए प्रभु श्रीराम और उस संत दोनों को उस कमरे में एकांत में छोड़ दिया। और खुद कमरे के बाहर दरवाजे पर पहरा देने लगे। उस समय भगवान श्रीराम से मिलने मिलने आने वाले वह वृद्ध संत कोई और नहीं बल्कि विष्णुलोक से भेजे गए काल देव थे। जिन्हें पृथ्वी पर भगवान राम को यह बताने भेजा गया था… कि उनका जीवन धरती पर पूरा हो चुका है। और अब उन्हें अपने लोक वापस लौटना होगा।
अभी उस वृद्ध संत जोकी काल देव थे, और श्री राम के बीच वार्तालाप चल ही रही थी। कि अचानक प्रभु श्रीराम से मिलने उसी समय वहां पर ऋषि दुर्वासा आ गए। ऋषि दुर्वासा ने प्रभु श्रीराम से मिलने के लिए उस कच्छ में जाने की अनुमति लक्ष्मण से मांगी। लेकिन लक्ष्मण जी अपने श्रेष्ठ भ्राता भगवान राम की आज्ञा का पालन करते हुए, ऋषि दुर्वासा को उस कक्ष में अंदर जाने से मना कर दिया। दोस्तों ऋषि दुर्वासा हमेशा से ही अपनी अत्यंत क्रोध के लिए जाने जाते थे। जिसका खामियाजा हर किसी को भुगतना पड़ा था। यहां तक कि ऋषि दुर्वासा के क्रोध की कहर स्वयं प्रभु श्रीराम को भी मिली थी।
लक्ष्मण के बार बार मना करने पर भी ऋषि दुर्वासा अपनी बात से पीछे नहीं हटे। और अंत में ऋषि दुर्वासा ने लक्ष्मण से कहा कि अगर वह उन्हें श्री राम से मिलने नहीं देंगे… तो वह श्रीराम सहित समस्त अयोध्या नगरी और सूर्यवंश को श्राप दे देंगे। ऋषि दुर्वासा की श्राप की बात सुनकर लक्ष्मण जी डर गए। लक्ष्मण जी समझ नहीं पा रहे थे कि, आखिर वह अपने भाई भगवान राम की आज्ञा का पालन करें या उन्हें और अपने कुल को ऋषि दुर्वासा के श्राप से बचाएं। ऋषि दुर्वासा द्वारा श्रीराम को श्राप देने की बात सुनकर लक्ष्मण जी काफी भयभीत हो गए और उन्होंने एक कठोर निर्णय ले लिया।लक्ष्मण कभी नहीं चाहते थे कि उनके कारण उनके जेष्ठ भ्राता प्रभु श्रीराम और उनके समस्त सूर्यवंश को ऋषि दुर्वासा का श्राप मिले। इसलिए उन्होंने अपनी बलि देने का फैसला किया। लक्ष्मण जी ने सोचा यदि ऋषि दुर्वासा को कक्ष में भीतर नहीं जाने देंगे तो उनके भाई को श्राप का सामना करना पड़ेगा। लेकिन यदि वह श्री राम की आज्ञा के विरुद्ध जाएंगे तो उन्हें मृत्यु दंड भुगतना पड़ेगा। यह सब में लक्ष्मण ने अपना मृत्युदंड ही सही समझा।
लक्ष्मण जी आगे बढ़े और कमरे के भीतर चले गए अपने छोटे भाई लक्ष्मण को चर्चा में बाधा डालते देख प्रभु श्री राम जी धर्म संकट में पड़ गए। अब भगवान राम एक तरफ अपने फैसले से मजबूर थे, और दूसरी तरफ अपने प्यारे छोटे भाई के प्यार में निस्सहाय थे। उस समय भगवान श्रीराम ने अपने प्राणों से प्रिय छोटे भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड देने का स्थान पर राज्य से बाहर निकल जाने का आदेश दिया। दोस्तों उस युग में देश निकाला मिलना मृत्युदंड के बराबर ही माना जाता था। Lord rama death story in hindi
लेकिन लक्ष्मण जी कभी भी अपने जेष्ठ भ्राता प्रभु श्रीराम के बगैर एक क्षण भी नहीं रह सकते थे। इसलिए लक्ष्मण जी प्रभु श्रीराम से बोले कि मैं आपके बगैर एक पल नहीं रह सकता… इसलिए मुझे इस देश निकाला से अच्छा आप मृत्युदंड के ही सजा दे दीजिए। क्योंकि आप के बगैर मेरा जिंदगी वैसे भी मृत्यु के ही समान है। भगवान राम ना चाहते हुए भी अपने प्यारे छोटे अनुज लक्ष्मण की बात मान लेते हैं। और लक्ष्मण को जल समाधि लेने का अनुमति दे देते हैं। भगवान श्री राम और अपने समस्त सगे-संबंधियों की आज्ञा लेकर लक्ष्मण जी सरयू नदी के पास गए,और सरयुग की नदी के भीतर चले गए… अर्थात उन्होंने जलसमाधि ले ली। इस तरह लक्ष्मण जी के जीवन का अंत हो गया, और यह पृथ्वी लोक से अपने लोक में वापस चले गए। लक्ष्मण के सरयू नदी के अंदर जाते ही वह शेषनाग के अवतार में बदल गए, और वापस अपने विष्णु लोक में चले गए। Lord rama death story in hindi
अपने प्यारे भाई लक्ष्मण के चले जाने के बाद भगवान श्री राम काफी उदास हो गए। जिस तरह राम के बिना लक्ष्मण नहीं। ठीक उसी तरह लक्ष्मण के बिना राम का जीना प्रभु श्रीराम को उचित नहीं लगा। यह सब सोचकर प्रभु श्रीराम ने इस लोक से चले जाने का विचार बनाया। तब प्रभु श्री राम ने अपना सारा राज पाठ और पद अपने पुत्रों के साथ अपने पुत्रों के भाई को सौंप दिया… और सरयू नदी की ओर चल दिए।
सरयू नदी के तट पर पहुंचकर प्रभु श्री राम ने अपने गुरुजन और सारे सगे-संबंधी से अंतिम विदा मांगी। और फिर भगवान श्री राम सरयू नदी के जल में प्रवेश कर गए। भगवान श्री राम सरयू नदी के बिल्कुल आंतरिक भूभाग तक चले गए… और अचानक गायब हो गए। और फिर कुछ देर बाद नदी के भीतर से भगवान श्री हरि विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने अपने सभी भक्तों को दर्शन दिया। इस प्रकार प्रभु श्रीराम ने अपना मानवीय रूप त्याग कर अपने वास्तविक स्वरूप भगवान विष्णु का रुप धारण किया। और बैकुंठ धाम की ओर प्रस्थान किया।
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