भविष्य पुराण क्या है? Bhavishya Purana in Hindi




Bhavishya Purana in Hindi: दोस्तों आज हम अपनी इस पोस्ट में आपको भविष्य पुराण(Bhavishya Purana) के बारे में जानकारी देंगे और बताएँगे की भविष्य पुराण का हिन्दू धर्म में क्या महत्व है और इसकी कथा क्या है?

What is Bhavishya Purana
भविष्य पुराण का पुराण वांगमय में एक विशिष्ट स्थान है। यह पुराण आज के सन्दर्भ में बहुत ही जीवनोपयोगी है। वर्तमान में जो भविष्य पुराण उपलब्ध है उसमें केवल 28 हजार श्लोक प्राप्त होते हैं।

फ्रेंड्स वेद व्यास जी की दृष्टि इतनी दिव्य थी कि वे भविष्य में घटित होने वाले सारे रहस्यों को उन्होंनें पहले ही इस पुराण में लिपि बद्ध कर लिया।

इस पुराण ‘Bhavishya Purana’ में नन्दवंश, मौर्य वंश, बाबर, हुमायुँ, तैमूर, शिवाजी, महादजी सिन्धिया आदि का भी वर्णन व्यास जी ने पहले ही इस पुराण में कर दिया। इस पुराण में महारानी विक्टोरिया की 1857 में भारत साम्राज्ञी बनने का भी वर्णन है। तथा यह भी बताया गया है कि अंग्रेजी यहाँ की प्रमुख भाषा हो जायेगी और संस्कृत प्रायः लुप्त हो जायेगी।

रविवारे च सण्डे च फाल्गुनी चैव फरवरी।



                                    षष्टीश्च सिस्कटी ज्ञेया तदुदाहार वृद्धिश्म्।।              (भविष्य पुराण)



इस पुराण में भारतीय संस्कार, तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था, शिक्षा प्रणाली पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया है। वस्तुतः भविष्य पुराण सौर प्रधान ग्रन्थ है। सूर्योपासना एवं उसके महत्व का जैसा वर्णन भविष्य पुराण में आता है वैसा कहीं नहीं है। पंच देवों में परिगणित सूर्य की महिमा, उनके स्वरूप, परिवार, उपासना पद्धति आदि का बहुत विचित्र वर्णन है। पुराण की कथा सुनने एवं सुनाने वाले को भी महाफल की प्राप्ति होती है।

Bhavishya Purana ki katha
एक बार कुमार कार्तिकेय भगवान सूर्य के दर्शन के लिये गये। उन्होंनें बड़ी श्रद्धा से उनकी पूजा की। फिर भगवान सूर्य की आज्ञा से वे वहीं बैठ गये। थोड़ी देर बाद उन्होंनें दो ऐसे दृश्य देखे जिनसे उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंनें देखा कि एक दिव्य विमान से कोई पुरूष आया। उसे देखते ही भगवान सूर्य खड़े हो गये, फिर उसके अंग को स्पर्श करके उसका सिर सूंघ कर उन्होंनें अपने भक्त वत्सलता प्रकट की एवं मीटी-मीटी बातें करते हुये उन्हें अपने पास बैठा लिया।



ठीक उसी समय दूसरा विमान आया, उससे उतर कर जो व्यक्ति भगवान सूर्य के पास आया उसकी भी भगवान सूर्य ने उसी प्रकार से उसका भी सम्मान करते हुये अपने पास बैठा लिया। जिनकी वन्दना स्वयं भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश किया करते हैं, उन भगवान सूर्य ने दो साधारण व्यक्तियों का इतना सत्कार क्यों किया यही कार्तिकेय कुमार के लिये आश्चर्य का विषय था। कुमार ने अपना आश्चर्य भगवान सूर्य के सामने रखते हुये पूछा, भगवन्, इन दोनों सज्जनों ने ऐसा कौन-सा सत्कर्म किया जो आप इन्हें सम्मान दे रहे हैं।

भगवान सूर्य बोले, ये सज्जन जो पहले आये, अयोध्या में इतिहास पुराण की कथा कहा करते थे। कथा सुनाने वाले मुझे बड़े प्रिय लगते हैं। यम, यमे, शनि, मनु, तप्ति मुझे इतने प्रिय नहीं लगते जितने कि कथा वाचक। मुझे धूप, दीप आदि से भी पूजा करने में इतनी खुशी नहीं होती जितनी की कथा सुनाने से होती है। ये सज्जन कथा वाचक हैं। इसलिये मैं इन पर इतना प्रसन्न हूँ।

भगवान सूर्य ने आगे कहा कि ये सज्जन जो बाद में मेरे पास आये, उन्होंनें बड़ी श्रद्धा से अनेकों पुराणों की कथा करवायी एवं सुनी।

एक बार कथा समाप्त होने पर इन्होंनें कथावाचक की प्रदक्षिणा की और उन्हें सोना दान में दिया। इन्होंनें कथावाचक का सम्मान करते हुये श्रद्धापूर्वक कथा सुनी, इसलिये मेरी प्रीति इन पर बहुत बढ़ गयी। इस प्रकार इतिहास पुराण की कथा सुनना एवं सुनाना पुराण और पुराण वक्ता की पूजा करना भगवान को सबसे अधिक प्रिय है।

इस पावन पुराण (Bhavishya Purana) में श्रवण करने योग्य बहुत ही अद्भूत कथायें, वेदों एवं पुराणों की उत्पत्ति, काल-गणना, युगों का विभाजन, सोलह-संस्कार, गायत्री जाप का महत्व, गुरूमहिमा, यज्ञ कुण्डों का वर्णन, मन्दिर निर्माण आदि विषयों का विस्तार से वर्णन है।

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