बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ
आज बात करते हैं Women Empowerment के बारे में, हाल ही में देश में हो रही घिनौनी घटना के ऊपर सब रोष जता रहे हैं और जो कि सही भी है, मगर क्या हमने कभी सोचा है कि इन सब घटनाओं का असली जिम्मेदार कौन है ?
एक तरफ हम नारा लगा रहे हैं कि बेटी पढ़ाओ- बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ और दूसरी तरफ आज भी ना जाने ऐसे कितने घर हैं जहाँ बेटियों को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है या फिर उनको सिर्फ पराया धन ही समझा जाता है और उनको बेटे की बराबर का सम्मान और हक़ नहीं दिया जाता।
India एक Multi Cultured देश है जहाँ अलग अलग भाषा और अलग अलग तरह के लोग रहते हैं। कहीं कहीं हम Women Empowerment का साथ देते हैं और कहीं हममें से ही कुछ लोग आज भी समाज में पिछली सोच रखते हैं। उनके लिए बेटी का मतलब सर पर बोझ समझा जाता है कि जैसे ही बेटी जवान हो बस शादी ब्याह कर के उसको विदा कर दिया जाये और बोझ खत्म। और माफ़ कीजियेगा कई कसबे और गाँव आज भी ऐसे हैं जहाँ आज तक बाल विवाह चला आ रहा है।
बात करूँ अगर Women Empowerment की तो अभी कल का ही किस्सा बताता हूँ, कल मैं किसी काम से जा रहा था रास्ते में एक जगह देखा एक पुलिस विभाग की महिला अफसर बीच में चल रही थीं और उनके अगल बगल बहुत से सिपाही, दरोगा और कुछ अन्य अफसर। ये नजारा देख कर दिल को इतना सुकून और तसल्ली मिली कि आपको बता नहीं सकता, एक अलग ही ख़ुशी कि आज महिलाएं भी पुरुषों के बराबर सम्मान और ओहदा पा रहीं हैं जिससे कि Women Empowerment वाली बात कुछ मायनों में सत्य साबित होती लगती है।
Women Empowerment असली में क्या है
एक समय ऐसा था कि जब महिलाओं को किसी भी तरह का अधिकार देना गलत समझा जाता था उनको मात्र पुरुष के पाँव की जूती समझा जाता था जिसको बस जैसे चाहा अपने पाँव के नीचे दबा दिया या फिर उनको कुछ बोलने या कहने का कोई हक़ नहीं दिया जाता था लेकिन आज का भारत अलग है जहाँ महिलाएं अपने अधिकारों का सही से इस्तेमाल कर के आगे बढ़ रही हैं और समाज के विकास में बराबरी का हिस्सा ले रही हैं।
Women Empowerment का सही मतलब है कि महिला को भी अपनी जिंदगी और अपने आप को साबित करने का बराबर मौका मिले उसको ये अधिकार है कि वो देश की तरक्की में पुरुष के साथ कन्धा मिला कर चलें। उनको समान अधिकार है अपने लिए सही चुनने का, पढ़ने का, आगे बढ़ने का चाहे वो कोई भी क्षेत्र हो, चार दीवारी में रहना आज की महिला के लिए नहीं बना है। आज महिला भी पुरुष की तरह खुले आसमान में उड़ना चाहती है , अपने सपने पूरे करना चाहती है और हमें उनके इस अधिकार से उनको दूर नहीं करना चाहिए।
आज हमारे देश में Women Empowerment को लेकर बड़ी बड़ी बातें हो रही हैं और कई तरह के प्रोजेक्ट्स और सामजिक या राजनैतिक स्तर पर कई काम भी किये जाने की बात होती है मगर असली में Women Empowerment तब दिखेगा जब हमारी सोच अंदर की बदलेगी। हर एक इंसान अगर मन से ये सोच ले कि महिलाओं को भी पुरुष की तरह सम्मान अधिकार का और स्वतंत्र जीवन जीने का बराबर का हक़ है, तब जा कर सही मायने में Women Empowerment की बात सही साबित होगी।
Women Empowerment सच या झूठ?
एक तरफ तो समाज और देश Women Empowerment के नाम पर बेटी पढ़ाओ- बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ के नारे लगा रहा है वहीँ दूसरी तरफ आये दिन महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार की देश के अलग अलग हिस्से में कही न कहीं की खबर सुनकर या पढ़कर दिल परेशान हो जाता है , क्या सच में हमारा देश का एक वर्ग आज भी ऐसी सोच रखता है जहाँ महिला को मात्र एक घरेलु प्राणी समझा जाता है और उसके आवाज़ उठाने पर उसको प्रताड़ित किया जाता है हिंसा से, मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना यातना दी जाती है।
Women Empowerment
एक तरफ सरकार बड़े बड़े वादे और भाषण देती है महिलाओं के हक़ में मगर उस घर का क्या उस घर के लोगों का क्या जहाँ आज भी महिला को मानसिक और शारीरिक यातना से गुज़रना पड़ रहा है। क्या आज ऐसे लोगों के लिए या उनकी सोच के लिए हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती या ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कानून नहीं ?
अभी हाल ही में हाथरस जिले में एक बेहद घिनौनी घटना सामने आयी जहाँ एक मासूम सी पढ़ी लिखी देश की बेटी का बेरहमी से रेप करके हत्या कर दी गयी और उसके घर वालों को बिना दिखाए या बताये मुजरिमों को बचाने की खातिर पुलिस महकमे ने उसका अंतिम क्रियाकर्म कर दिया।
क्या इतना प्रेशर इतना दबाव है कुर्सी की गद्दी का क़ानून के ऊपर कि दोषियों को सजा देने के बजाये उनके ऊपर उचित कार्यवाही करने के बजाय उनके सोर्स या पावर से डरकर पूरा प्रशासन शांत है। फिर तो एक ही उपचार बनता है कि देश की हर बेटी को हर महिला को सिर्फ इतना अधिकार दे दिया जाये कि वो अपनी आत्मरक्षा में एक एक हथियार अपने पास रखें और दोषी को जुर्म से पहले ही उचित सजा दे दे जिससे कि उनको अपनी सुरक्षा के लिए परिवार या प्रशासन का मुँह ना देखना पड़े।
कैसी कैसी मानसिकता वाले लोग भी इस समाज में मौजूद हैं जिनको ये तक समझ नहीं आता कि वो ऐसा घिनौना काम कर के अपने परिवार और समाज अपने देश को कितना नीचे गिरा रहे हैं। सच में ऐसी मानसिक प्रवृत्ति के लोगों को या तो फांसी दे देनी चाहिए या फिर महिलाओं को ही वारदात के दौरान ही ऐसे लोगों का उचित प्रबंध कर देना चाहिए।
शर्म आती है मुझे ये सोचकर कि मैं भी ऐसे समाज का हिस्सा हूँ जहाँ महिलाओं को सम्म्मान और अधिकार देने के बजाय उनके साथ ऐसे घिनौने काम होते हैं या तो उनकी आवाज़ दबा दी जाती है या फिर उनके आवाज़ निकलने से पहले ही उनको शांत कर दिया जाता है।
सरकार और प्रशासन से बस यही अनुरोध है कि महिलाओं को सिर्फ सम्मान और अधिकार दें यही आज काफी नहीं है अगर सच में बेटी पढ़ाओ- बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ को सच साबित करना है तो सही निर्णय और ठोस कदम उठाना ही पड़ेगा।
Women Empowerment को सही साबित करना है तो महिलाओं को सिर्फ अधिकार देना काफी नहीं , सबसे बड़ी चुनौती है देश के सामने कि हमारी बेटी और महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं, जब बड़े शहरों में ऐसी घटनाएं खुल कर सामने आ रहीं है तो आप खुद अंदाजा लगा लीजिये की आज भी गाँव और कसबे की महिलाएं कितना ही सुरक्षित होंगी ?
जहाँ आज भी पंचायत और पुलिस प्रशासन उतना मजबूत नहीं है और जहाँ आज भी महिलाओं को घर की चार दीवारी में कैद कर के रखा जाता है जहाँ महिलाओं को अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाने का मौका तक नहीं मिलता।
देश बनता है हमसे आपसे मिलकर तो हमारा भी ये फ़र्ज़ बनता है अपने देश की बेटी और महिला को सम्मान दे और बराबरी का हक़ दें, साथ ही उनकी सुरक्षा सबसे एहम और ठोस मुद्दा है जिसके बारे में गंभीरता से कुछ करना होगा कुछ ऐसा ठोस कदम लेना होगा जिससे ये सब देश में हो रही घटनाओं पर रोक लगे और हर ऐसी नीच मानसिकता वाला इंसान ये घिनौना काम करने से पहले अपने अंजाम के बारे में सौ बार सोचे और उसकी आत्मा भी काँप उठे।
याद रखिये अगर सच में देश की तरक्की देखनी है तो अपने घर की महिलाओं की तरक्की को आगे रखिये, उनके बारे में सोचिये उनके अधिकार, उनके सम्मान और सुरक्षा के बारे में सोचिये तब जाकर Women Empowerment का असली मकसद पूरा होगा।
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