दशहरा क्यों मनाते है और कैसे मनाया जाता हैं ? Why is Dussehra celebrated and how is it celebrated?

दशहरा क्यों मनाया जाता है: दशहरा एक प्रसिद्ध हिन्दू त्यौहार जिसे पुरे भारत में बड़े उत्साह और हर्षोउलास के साथ मनाया जाता है. दशहरा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई का प्रतिक है. यूँ तो हम सब सभी त्यौहार बड़े ही प्यार और खुसी से मनाते हैं लेकिन दशहरा का त्यौहार कुछ अलग तरह की खुसी लेकर आता है. इस त्यौहार का बेसब्री से इंतज़ार बच्चे तो करते हैं लेकिन बड़े और बूढ़े भी इस त्यौहार के आते ही खुसी से झूम उठते हैं. हमारे भारत देश जैसा दूसरा कोई भी देश नहीं जहाँ सभी त्यौहार धूम धाम से मनाया जाता है.

हम अपने देश में जितने भी त्यौहार मनाते हैं उन सभी के पीछे एक पौराणिक और सत्य कथा जरुर होती है. हम खुसी में लीन होकर सभी त्यौहार तो मनाते ही हैं लेकिन उसके साथ साथ हमें उस त्यौहार के पीछे की कथा का ज्ञान होना भी अवश्यक होता है की आखिर हम दशहरा क्यों मनाते हैं. इसलिए आज के इस लेख मै आपको बताने वाली हूँ की दशहरा क्यूँ और कैसे मनाया जाता हैं? और इसके साथ मै आपको ये भी बताउंगी की 2019 का दशहरा कब से शुरू है?


दशहरा क्यों मनाया जाता है ?



भारत के प्रमुख पर्वों में से एक पर्व है दशहरा जो विजयादशमी के नाम से भी प्रसिद्ध है. भगवान राम ने इस दिन अहंकारी रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को रावण के कैद से छुड़ाया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध में महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी. इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है.


दशहरा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘दश-हर’ से हुई है जिसका अर्थ है दस बुराइयों से छुटकारा पाना. वो दस बुराइयाँ हैं- क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, आलस्य, झूठ, अहंकार, मद, चोरी, घूसखोरी इत्यादि.

राम-रावण युद्ध नवरात्र में हुआ था और रावण की मृत्यु दशमी को हुआ था जिसके लिए विजयदशमी के दिन रावण का पुतला बनाकर जलाया जाता है. इस दिन भगवान रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा रावण का वध कर अयोध्या पहुंचे थे इसलिए भी इस पर्व को विजयदशमी कहा जाता है.

इस पर्व से जुडी एक अन्य कथा के अनुसार महिषासुर को उसकी उपासना से खुश होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया था. उस वरदान को पाकर महिषासुर ने उसका दुरूपयोग करना शुरू कर दिया और नर्क को स्वर्ग के द्वार तक विस्तारित कर दिया. महिषासुर ने सूर्य, चन्द्र, इंद्रा, अग्नि, वायु, यम, वरुण और अन्य देवताओं के भी अधिकार छीन लिया और स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा. महिषासुर के दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने माँ दुर्गा की रचना की. महिषासुर का विनाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अस्त्र-शस्त्र देवी दुर्गा को समर्पित कर दिए थे जिससे वह बलवान हो गयी थी. नौ दिनों तक उनकी महिषासुर से संग्राम चला और अंत में महिषासुर का वध कर दिया.

विजयदशमी से पहले नवरात्री मनाया जाता है. इस नवरात्री के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नौ रूप नौ दिन तक लगातार अलग अलग पूजे जाते हैं. दुर्गा का मतलब जीवन के दुःख को हटाने वाली होती है. पुरे भारत में नवरात्री को महान उत्साह के साथ मनाया जाता है.

माँ दुर्गा के नौ रूप होते हैं, इस रूप और हर नाम में एक दैवीय शक्ति को पहचानना ही नवरात्री मनाना है. माँ के नौ रूपों के नाम और उनका अर्थ है-

1. शैलपुत्री– शैल का अर्थ है शिखर, पर्वत की चोटी

2. ब्रह्मचारिणी– ब्रह्मचारिणी का अर्थ है वह जो असीम, अनन्त में विध्यमान गतिमान है.

3. चंद्रघंटा– चंद्रघंटा का अर्थ है चाँद की तरह चमकने वाली.

4. कुष्मांडा– कुष्मांडा का अर्थ है की पूरा जगत उनके पैर में है तथा माँ का खुसी भरा रूप.

5. स्कंदमाता– स्कंदमाता को बुद्धिमता ज्ञान की देवी कहा जाता है.

6. कात्यायनी– इसका अर्थ है कात्यायन आश्रम में जन्मी तथा माँ दुर्गा की बेटी जैसी.

7. कालरात्रि– इसका अर्थ है काल का नाश करने वाली.

8. महागौरी– इसका अर्थ है माँ पार्वती का सुनदर रूप और पवित्रता का स्वरुप

9. सिद्धिदात्री– इसका अर्थ है सर्व सिद्धि देने वाली.

ऐसी मान्यता है की जब राम रावण के साथ युद्ध करने जा रहे थे तब नवरात्री का समय चल रहा था और श्रीराम ने इस शारदीय नवरात्री पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवे दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया जिसमे उन्हें विजय प्राप्ति हुयी. तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा. यही कारण है की हम दशहरा मनाते हैं.

दशहरा कैसे मनाया जाता है?

दशहरा राष्ट्रीय पर्व है, यह देश भर में लाखों लोगों द्वारा मनाया जाता है. इस दिन नया कार्य आरंभ करना शुभ माना जात है और शस्त्र पूजा भी की जाती है. इस अवसर पर विभिन्न जगहों पर बड़े-बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है. बहुत से जगहों पर भक्त नौ दिनों तक नवरात्री उपवास रखते हैं. नवरात्री के दौरान भक्त स्वास्थ्य और समृधि के संरक्षण के लिए उपवास रखते है. भक्त इस व्रत के समय मांस, शराब, अनाज, गेहूं और प्याज का उपयोग नहीं करते.

माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति, और शक्ति मिलती है. देवी की पूजा आराधना के लिए जगह-जगह देवी की प्रतिमा बनाई जाती है और पुरे विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है. नौ दिनों तक अखण्ड ज्योति-दीप प्रज्वल्लित करते हैं. अष्टमी के दिन कन्याओं को देवी मानकर उनकी पूजा के साथ-साथ उन्हें भोजन खिलाकर व्रत तोडा जाता है.

हर वर्ष देश भर के कोने कोने में रामलीला का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है जिसमे भगवान् श्रीराम और दस सिरों वाले रावण के बिच युद्ध की कथा को दर्शाया जाता है. इस नाटक को लोग हजारों की तादाद में बड़ी श्रद्धा और उत्साह से देखने आते हैं. दशहरे के दसवे दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ को बुराई का प्रतिक मानकर इनके बड़े बड़े पुतले बनाकर उन्हें उलास के साथ जलाया जाता हें. इन विशाल पुतलों में अनेक पटाखे-बम लगे रहते हैं.

भारत के बंगाल, ओडिशा और असम में यह पर्व “दुर्गा पूजा” के रूप में मनाया जाता है. ये बंगालियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार होता है. गुजरात में जगतजननी की आराधना में जगराता तथा गरबा किया जाता है. मारवारी लोग नौ दिनों तक डंडिया का नृत्य कर दशहरा का आनंद उठाते हैं. दशहरा भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका, और बांग्लादेश जैसे देशों में भी अलग अलग तरीको से मनाया जाता है.

दशहरा कब है 2019 में ?

दशहरा में बच्चो को बहुत सारी मस्ती करने और मेलों में घुमने का मौका मिलता है इसलिए वो हमेसा बड़ों से पूछते हैं दशहरा कितनी तारीख को है 2019 में? दशहरा कब से शुरू है? इस साल दशहरा 2019 में 4 अक्टूबर से लेकर 8 अक्टूबर तक मनाया जायेगा. दशहरा त्यौहार का आरंभ आश्रविन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन होता है और दशमी के दिन इसकी समाप्ति होती है जिसे विजयदशमी का उत्सव अथवा दशहरा के रूप में देशभर में मनाया जाता है. दशहरा उत्सव के नवरात्री की शुरुआत महालया के बाद से ही शुरू हो जाती है. इसलिए आपको ये जानना भी जरुरी है की इस साल दशहरा का महालया कब है? इस साल महालया 28 सितम्बर को है. माना जाता है की माँ दुर्गा कैलाश पर्वत से महालया की शाम पृथ्वी लोक आती हैं और पुरे 9 दिनों तक धरती पर रहकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं.

प्रतिपदा के दिन लोग अपने घरों में देवी की मूर्ति की स्थापना करते हैं. गोबर से कलश को सजाकर कलश के ऊपर जौ के दाने लगाये जाते हैं. आठ दिनों तक नियमपूर्वक देवी की पूजा, कीर्तन और दुर्गा-पाठ होता है. नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन करवाया जाता है. विजयदशमी के बाद देवी की मूर्ति का भक्ति से नाच गाने के साथ विसर्जन किया जाता है.

यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक माना जाता है. यह त्यौहार जीवन को हर्ष और उल्लास से भर देता है, साथ ही यह जीवन में कभी अहंकार ना करने की प्रेरणा भी देता है. दशहरा राम की विजय के रूप में मनाया जाये या दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में ये शक्ति-पूजा का पर्व है.

दशहरा पर्व पर विध्यालयों औए कॉलेजों में बच्चों के लिए दस दिन का दशहरा अवकाश भी घोषित कर दिया जाता है. प्राइवेट अथवा सरकारी कार्यालयों और दफ्तर में भी विजयादशमी के दिन छूटी दी जाती है. बहुत से लोग जो job करते हैं उनके मन में ये सवाल आता है की festival की छुट्टी का salary मिलता है क्या? तो इसका जवाब है ‘हाँ‘, क्यूंकि ये छुट्टी आप अपनी तरफ से नहीं ले रहे बल्कि सरकार खुद ही आपको दशमी के पर्व की खुसी में छुट्टी देती है, इसलिए इससे आपके salary में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. जब आप अपनी मर्जी से छुट्टी लेंगे तभी सरकार आपके salary में से कुछ पैसे काट लेती है.

दशहरा का त्यौहार हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतिक है. माँ दुर्गा और भगवान् राम ‘सत्य’ के प्रतिक हैं और महिषासुर, रावण ‘असत्य’ का प्रतिक हैं. ये एक ऐसा त्यौहार है जिसे मनाते हुए हमारे अन्दर राम के अनुपम आदर्श और दुर्गा की असीम शक्ति का अभाश होने लगता है. इस त्यौहार को मनाते समय हमें पाप-पुण्य, अच्छा-बुरा, नैतिक-अनैतिक जैसे मानवीय प्रवृत्तियों का ज्ञान होने लगता है. दशहरा का त्यौहार हमें यह बताता है की हमेसा अधर्म पर धर्म की विजय होती है. बुराई चाहे कितनी ही शक्तिशाली क्यूँ न हो परन्तु सत्य एवं अच्छाई के समक्ष स्थापित नहीं हो सकती, पाप का अंत होना निश्चित है.


उम्मीद करते है की आपको हमारा यह पोस्ट “दशहरा क्यों मनाते है और कैसे मनाया जाता हैं ?” पसंद आया होगा, अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिये। क्यों की ज्ञान बाटने से बढ़ता है। और यैसे ही ज्ञान बर्धक पोस्ट पढ़ते रहने के लिए हमारे ब्लॉग के साथ जुड़े रहिये। धन्यबाद॥